Wednesday, March 18, 2009

ध्यान फाउंडेशन के जनक : योगी अश्विनी


योगी अश्विनी के लिये योग कोई व्यवसाय नही बल्कि एक संपूर्ण साधना है. योगी जी कहते हैं,"योग तब योग नहीं रहता जब उसके किसी अंग मॅ आवश्यकता अनुसार फेरबदल कर दिया जाये." योग के इसी विशुद्ध रूप को ध्यान मॅ रखकर ही उन्हॉने पूरे विश्व के हित के लिये "सनातन किया" की संरचना की. जिसमॅ योग के आठॉ आधारॉ को बिना किसी फेरबदल या मिलावट के सम्मिलित किया गया है. वे कहते है,"योग अनुभव का विषय है ना कि बुद्धि का विलास"..."योग के उदगम बिन्दु महर्षि पतंजलि ने केवल इतना कहा कि... सुखमं स्थिरमं आसनं...यानि ऐसी स्थिति जो स्थिर हो, सुखपूर्वक और आनंददायक हो. इसके अलावा संपूर्ण योग शास्त्र मॅ आसन के विषय मॅ उन्हॉने कुछ नही कहा."

आजकल ज्यादा से ज्यादा योग सीखने वालॉ को अपनी ओर खींचने और अधिक से अधिक धन कमाने के लालच मॅ योग के जानकार अष्टांग योग के मूलभूत सिद्धाँतॉ के साथ समझौता करते है. आज योग को बेचा जा रहा है. दुकानदारी हो रही है योग ने नाम पर. हज़ारॉ की संख्या मॅ एक साथ योग के पैकेट बेचे जा रहे है. जो कि बहुत खतरनाक है. अश्विनी जी कहते है,"अगर एक बार भी योग गलत तरीके से कर लिया गया और दुर्भाग्यवश कुछ विपरीत परिणाम सामने आये तो उनको वापिस ठीक करना बहुत बहुत कठिन होता है. केवल एक सिद्ध योगी ही उसे ठीक कर सकेगा. ऐसे बहुत सारे उदाहरण मुझे मिले जैसे एक महिला(नाम गुप्त रखा गया है)ने बिना किसी योग्य मार्गदर्शक के योग की एक अति प्रभावी क्रिया टी.वी. देखते हुये करली और उसकी कीमत उसे कैंसर की दवाऑ की कीमत देकर चुकानी पड रही है. फिर बाद मॅ किसी के माध्यम से वह महिला फाउंडेशन से जुडी,सही मार्गदर्शन मॅ योग किया,और आज सुरक्षित जीवन जी रही है."


यह कोई सत्संग नही है जो दस बीस हज़ार लोगॉ के इकट्ठा किया और ज्ञान की गंगा बहाने लगे. योग एक व्यक्तिगत विषय है. इसका एहसास मुझे योगी अश्विनी जी से मिलने और उअंके सानिध्य मॅ उनके द्वारा बताई हुई क्रियाऑ को करने के बाद हुआ. अगर आप भी सही और सच्चे योग के इस अनूठे अनुभव को पाना चाहते है तो क्लिक करॅ
या अपनी बात खुद योगी अश्विनी जी से कहॅ email करॅ : ashwiniyogi@yahoo.co.in

और हाँ इस आलेख के बारे मॅ अपनी राय देना ना भूलॅ.

शेष फिर...

Saturday, March 14, 2009

योगी आश्विनी जी- एक आधुनिक योगी


“यह सृष्टि शून्य से उत्पन्न हुई. योग का मुख्य लक्ष्य उसी शांति स्वरूप शून्य को पाना ही है क्यॉकि यह शून्य ही वह परम शक्ति है जो पूरी सृष्टि को थामे है, ऐसा कहना है आज के आधुनिक योगी श्री अश्विनी जी का जो ध्यान फाउंडेशन के संस्थापक और मार्ग दर्शक ज्योति हैं. किसी को केवल उनके आस पास रहने भर से जो शक्ति और व्यक्तित्व प्राप्त होता है वह इन शब्दॉ को सत्य साबित करने के लिये काफी है.
पिछले दिनॉ मुझे योगी जी के साथ कुछ समय बिताने का सुअवसर मिला. ध्यान फाउंडॆशन एक गैर सरकारी स्वयंसेवी संगठन है जो योग, आयुर्वेद और सामाजिक उत्थान के क्षेत्र मॅ पिछले 10 वर्षॉ से कार्य कर रही. उन्ही मॅ से एक गतिविधि मॅ मुझे शामिल होने का मौका मिला.

भारतीय विद्या भवन मॅ हर रविवार एक ध्यान कार्यशाला का आयोजन किया जाता है. जिस मॅ योगी जी की उपस्थिति मॅ जिज्ञासू लोगॉ को योग और ध्यान जैसे विषयॉ के बारे मॅ प्रयोगात्मक जानकारी दी जाती है. योगासनॉ की वैज्ञानिक परिभाषा, उनका हमारे शरीर के अंगॉ पर क्या प्रभाव होता है, साधना के गूढ रहस्य, और ऐसे विषय जिनका वर्णन शायद ही कोई और आज के समय मॅ कर सकेगा, योगी जी के श्री मुख से सुनने को मिले. मै इतना प्रभावित हुआ कि मैने तय किया कि मै भविष्य मॅ भी ध्यान फाउंडेशन से जुड़ा रहूँगा. इस ध्यान यात्रा के सभी पड़ावॉ से जुड़े अनुभव लिखता रहूँगा ताकि पाठकॉ को यह विशेष जानकारी मिलते रहे.
चिट्ठाजगत



योगी अश्विनी इस युग के शायद अकेले ऐसे योगी है जो इस चिर प्राचीन अष्टांग योग के सिढांतॉ का ठीक वैसे ही पालन करते है और करवाते है जैसा कि महर्षि पतंजलि ने प्रतिपादन किया है. आप सभी की जानकारी के लिये ध्यान फाउंडेशन की वेबसाइट दे रहा हूँ अगर आप चाहते है कि आप भी उस अनुभव को प्राप्त करॅ तो बस क्लिक कीजिये www.dhyanfoundation.com और बताइये अपना अनुभव और कीजिये टिप्पणी...